अपने घिनौने करतूतों और गंदी राजनिति से सुर्खियाँ बटोरने वाले राज ठाकरे तेरी सारी गार्मी ठंडी पर जायगी। तुम्हारे एक के बाद एक करतूतों ने अती कर दिया है। अपने राजनिति जीवन को मजबूत करने व अस्तित्व में लाने के लिए आज जो हथकंडे तुम अपना रहे हो, वह तुम्हारे राजनिति जीवन को गर्त में ले जाने के लिए काफी है। जिस तरह से हाल ही में राष्ट्रिय भाषा हिन्दी को भरी सभा में तुम्हारे चमचों ने वेइज्जत किया है, वह किसी घोर अपराध से कम नही है। हिन्दी सम्मान कि भाषा है, स्वभिमान कि भाषा है, पूरे हिन्दुस्तान कि भाषा है। तुम कौन होते हो भाषा का पाठ पढाने वाले? तुमने सपा नेता आजमी को थप्पड़ नही मारा है, बल्कि यह थप्पड़ हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी को है। तुम्हें पता होनी चाहिए तेरे थप्पड़ कि गूँज न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में पहुँच चुकी है। आखिर अपनी खोखली राजनिति से तुम क्या दर्शाना चाह्ते हो? तुम्हारे इस मनमानी को हम आजीवन बर्दाशत करेंगे। यह कतई संभव नही है। हमारे सब्र का बाँध जिस दिन टूटेगा, तुम्हे ले डूबेगा। कभी भाषावाद कभी क्षेत्रवाद को बढावा देकर तुम खुद के पैर पर कुल्हारी मारने का काम कर रहे हो। तुम्हे पता होना चाहिए कि वृहतर मुंबई में पिछले दो जनगननाओं के बीच आबादी का ग्रोथ 2.62 प्रतिशत है। जबकि उत्तर भारत खासकर पटना में अकेले यह वृधि-दर 4.40 प्रतिशत है। यानी मुंबई से लगभग दोगुनी। तुम खुद अंदाजा लगा सकते हो कि अलगाव का यह प्रलाप महाराष्ट्र को ही नुकसान पहुँचा रहा है।
तुम्हारी अगर यही हरकत बरकरार रही तो वो दिन दूर नही जब मुंबई कि आर्थिक ताकत का एक बड़ा हिस्सा वो शहर बाँट लेंगे जिसका पूरे मुबंई के आर्थिक स्थिति में बड़ा योगदान है। तब क्या करोगे राज ठाकरे? अकेले चना भांड नहीं फोरता है। कहावत सटीक बैठेगी तुम्हारे लिए। आखिर भाषा से इतना प्रेम होना वाकई अच्छी बात है, मगर भाषा कि राजनिति करना उतनी ही बुरी बात है। तुम्हे पता होनी चाहिए कि तुम्हारी घिनौनी करतूते केवल भाषा तक ही नही सीमित है बल्कि तुम्हारी भरकाऊ भाषण और क्षेत्रवाद कि टिप्पणी भी कई बार एक भारी हिंसा का रुप लिया है। तुमने उन गरीब निर्दोष लोगों पर जुल्म ढाहा है जिनका तुम्हारे राजनिति से दूर-दूर तक कोई वास्ता नही है।
अगर तुम्हे याद हो तो तुम्हारे ही कारण अपने सुनहरे भविष्य के सपने लेकर बिहार से मायानगरी पहुँचा राहुल राज को लांग रेंज से लैस महाराष्ट्र पुलिस के लोगों ने मार गिराया था। राहुल राज भले ही आज इस दुनिया मे ना हो मगर उसने जो हिम्मत और हौसले का परिचय दिया वह आज भी जीवित है। तुम्हे सचेत हो जाना चाहिये भविष्य के उन हजारों राहुल राज से जिनके खून की गर्मी को तुम और गर्म करने का प्रयत्न कर रहे हो। सच कहूँ तो गनिमत यह है कि तुम अपनी हुकूमत अपने माँद में रहकर ही कर रहे हो। एक बार बाहर निकल तो झाँको तुम्हारे जैसे शेर को पिंजरे में घेरने के लिये हजारों हाथ एक साथ तैयार है। श्रीमंत राज ठाकरे अपनी भद्दी और दागदार चेहरे को एक नई पहचान दो। भाषा और क्षेत्रवाद को सम्मान दो। मगर यह बात बस सुनने और पढने के लिये ही सत्य हो सकती है, क्योकि बबूल का बीज रोपने से आम के पेड़ नही उगा करते।
हमें तो डर है, इस बात का कि कहीं तेरे घिनौनी राजनिति के कारण लोग उस महारथियों को सम्मान देना भूल जाएगें जिसका सम्मान आज पूरा देश करता है। लता मंगेशकर, सचिन तेन्दुलकर, माधुरी दिक्षित और कई ऐसे मराठी व्यक्तित्व को तुम्हारा पागलपन प्रभावित कर सकता है। तुम जिस मराठी मानुष के लिए अपने को उनका हितैसी मानते हो तुमने अपने उन मराठी लोगों के लिये क्या किया है,जिसने पिछले साल हुए 26/11 में अपना सहरा खो दिया है। तुम्हे सबक लेनी चाहिये 26/11 हमले में आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद होने वाले एटीस चीफ हेमंत करकरे से जो भी एक मराठी थे। मगर उन्होने केवल मराठियों के लिए नहीं लड़ा बल्कि पूरे देश और पूरी मुंबई को बचाने के लिये लड़ा।
कभी-कभी ऐसा लगता है कि तुम सारा नाटक केवल और केवल अपने को सुर्खियों में बनाए रखने के लिये ही करते हो। और इसमे कोई दो राय नही है, कि तुम इसके अलावा भी और कुछ सोचते हो। किसी ने ठीक कहा है कि तुम्हारे जैसे व्यक्ति को लात मारकर मुंबई से बाहर कर देना चाहिये। तुम विविधताओं में एकता वाले भारत देश में अनेकता फैलाने का काम कर रहे हो। गनिमत है कि इतना के बावजूद भी हम बर्दाशत किए जा रहे हैं, क्योकि हमने नही सीखा है क्षेत्रवाद और अलगाववाद कि वो राजनिति जिसे पढकर तुम अपने को विद्वान और काबिल समझ रहे हो।
अंतत: यही कहना चाहुँगा कि अपने अशांत मन और अंगारे बरसाने वाले जुवान को लगाम दो वरना अंजाम बहुत बुरा होगा।
विकास कुमार
The worldwide economic crisis and Brexit
9 years ago

