
दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेल के सफलतापूर्वक होने और ना होने की संभावनाओं के बीच बना पूल कब धराशायी होकर गिर जाये इसकी आशंका हम सभी को है। इस खेल के शुरु होने से पहले ही जो गेम सुरेश कल्माडी एण्ड ग्रुप ने खेला है, वह जगज़ाहिर है। देश के गौरव और शान का प्रतीक राष्ट्रमंडल खेल आज इसी देश के लिये चुनौती और आन का सवाल बन गया है।
गौरतलब है कि ऐसे आयोजन को कराने के लिये विस्तृत और लंबी नीति की आवशयक्ता होती है। राष्ट्रमंडल खेल की मेजबानी का टाँस जितकर आयी बीजेपी सरकार मैदान में आने से पहले ही बोल्ड हो गयी। और अब कांग्रेस सरकार ग्राउंड में आने के बजाये गीले पिच को सुखाने में लगी हुई है।
इधर अभी भी कई स्टेडियमों में आधे से अधिक काम का होना बाकी है। ऐसे में बारिश का बार-बार होना काम को पूरी तरह से बाधित कर रहा है। खेल शुरु होने के लिये कम होता हर एक दिन अधिक से अधिक सवालों को पैदा कर रहा है।
मगर दूसरी तरफ इन सवालों के पैदा होने और न होने से क्या फर्क पड़ता है! क्योंकि राष्ट्रमंडल खेल समीति से अध्यक्ष सुरेश कल्माडी के लिए हर सवाल का सिर्फ और सिर्फ एक ही जबाव है "आप चिन्ता ना करे, सबकुछ समय पर हो जायेगा"। कल्माडी जी अगर सबकुछ समय पर ठीक-ठाक हुआ रहता तो आज आपका अधिकार आपके समय के सामने दम नहीं तोड़ता। जरुरत नहीं पड़ती फिर से एक नई टीम का गठन करना।
खैर, चाहे अब जो कुछ भी हो हम सभी को मिलकर अपने राष्ट्र के गौरव को बचाना है, एक भारतीय होने का अधिकार निभाना है।
Vikas kumar

