हो जाती है। आंखो मे ललक और चेहरे कि दमक अचानक बढ जाती है। धड़कते दिल और दमकते चेहरे के बीच लचकती कमर गजब का असर छोड़ रही थी। फिर क्या था इस असर से मेरा सफर और रोमांचित होता जा रहा था। कई बार तो मेरे कदम उसके एकदम समीप होता था मगर उसके जुल्फों कि हवाएँ मजबूर कर देती थी रुकने को। उसकी मतबाली चाल का ही कमाल था कि मैं अकेला नही मेरे साथ भी कई दिल एक साथ धड़कने लगे थे। वो भी अब कदम से कदम मिलाने लगे थे। उसका चलते-चलते रुक जाना और फिर मुड़कर पीछे देखना हमारे लिए गजब का एहसास था। मानो थोड़े समय के लिए दिल उसी के पास था। वो चलती गयी हम भी चलते गये। कुछ दूर जाकर उसने कदमों को रोका ऐसे एक प्रेमिका रुकती है अपने आशिक के लिए जैसे। वहाँ मै नही था, हम सभी थे। उसके एक नही कई चाहने वाले थे। खुद को निकाला सबसे आगे और पहुँचा उसके समीप। बस पहुँचने वाला ही था उसतक एक अजनबी ने दे दी दस्तक। वो कोई और नही था उसकी अपनी धड़कन , अपना प्यार अपना संसार उसका कुणाल था। मुझे खुद को वही रोकना पड़ा, मगर झुकना पड़ा उन दोस्तों के आगे जिनको छोड़ निकले थे आगे। आज भी याद आती है वो मतवाली चाल।विकास कुमार