Friday, March 12, 2010

ख़ाकी से बेखौफ अपराधी

राजधानी दिल्ली सुरक्षा के लिहाज से अन्य राज्यों के मुकाबले बेहतर और सुरक्षित मानी जाती है। यहाँ के प्रशासन की चाक-चौबंद कि चर्चा पूरे देश में होती है। मगर पिछ्ले कुछ महीनों से जिस तरह से राजधानी में लूटेरों, चोर और झपटमारों ने उत्पाद मचा रखा है, उससे यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन कहीं न कहीं ढीली पड़ गई है। "आपके लिए, सदैव आपके साथ" का नारा लगाने वाली दिल्ली पुलिस बदमाशों और गूंडों के आगे पूरी तरह से लाचार और बेबस साबित हो रही है। खुलेआम कत्ल हो रहे हैं, बसों में जबरन यात्रियों को लूटा जा रहा है, महिलाओं के साथ बदसलूकी और जबरदस्ती किया जा रहा है, सड़क पर चलती हुई महिलाएं झपटमारों का शिकार हो रही हैं, कारों और घरों में चोरी हो रही है। प्रशासन के लाख कोशिशों के बावज़ूद इनमें कोई कमी नही दिख रही है।
गौरतलब है कि, अपराधियों द्वारा इन सारी वारदातों को अंजाम दिन के उजाले में दिया जा रहा है और प्रशासन है कि गहरी निंद में सोई हुई है। दरअसल अपराधियों द्वारा दिए दिए जा रहे इन अंजामों और घटनाओं के पीछे का कारण उनका खाकी वर्दी से कम होता खौफ और प्रशासन का उनके प्रति लचीला व्यवहार है। अभी हाल ही में दक्षिणी दिल्ली के लाजपत नगर में साई पिकेट पर बदमाशों द्वारा हवलदार के हाथ से वायरलेस का छीनना और फिर मजे से चलता बनना प्रशासन के ढीले हाथ को दर्शाता है। बदमाश कार में सवार थे, फिर भी न तो पुलिस उसका पीछा कर पाई और ना ही गाड़ी का नंबर नोट कर पाई। दूसरी घटना आनंद विहार इलाके कि है जिसमें एक कार सवार युवक बाईक सवार तीन युवकों का पीछा कर रहे थे। उनके बीच गोली चली और सड़क के किनारे खड़े एक व्यक्ति के पांव में जा लगी। हर रोज इस तरह के अनेकों घटनाओं से दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था कि पोल तो खुल ही रही है साथ ही साथ पुख्ता सुरक्षा के दावों पर भी दाग लग रहा है।
यह बात सोचने योग्य है कि, आगामी कुछ ही महीनों बाद दिल्ली में राष्ट्र्मंडल खेलों का आयोजन होना है। और अगर इसी तरह से अपराधियों के हौसले बुलंद रहे तो यह कहना गलत नही होगा कि अपराधी प्रशासन के साथ-साथ दिल्ली सरकार के साख को भी हशिए पर न रख दे।
विकास कुमार